लाल, पीले, नीले और नारंगी
आभा बिखेरते हुए किया श्रृंगार, धरती का
मानो इन्द्रधनुष आया उतर धरती पर
हँसते मुस्कुराते तुम्हारी पंखुड़ियाँ
मानो स्वर्ग उतर आया ज़मी पर
मधुरस लेने आई कुछ सखियाँ
अब आई बारी परिश्रम की
बिरह के दिन ख़त्म हुए सखी
आई बहार धरती पर
महका दिया तुमने धरती को
बसंत आया धरती पर