Friday, December 18, 2009

"सतगुरु कबीर जी"


कक्का केवल ब्रम्ह है, बब्बा बीज शरीर।
रर्रा सब में रम रहा, ताका नाम कबीर॥

जो तू चाहे मुझको ,छाँड़ सकल की आस।
मुझ ही जैसा हो रहो, सब सुख तेरे पास॥

10 comments:

संजय भास्‍कर said...

जो तू चाहे मुझको ,छाँड़ सकल की आस।


मुझ ही जैसा हो रहो, सब सुख तेरे पास॥

LAJWAAB RACHNA

इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....

Chandan Kumar Jha said...

सुन्दर दोहे !!!!!

देवेन्द्र पाण्डेय said...

अच्छे दोहे

Roshani said...

संजय जी, चन्दन जी और देवेन्द्र जी शुक्रिया!! एक राज की बात यह है की इस चित्र को बनाने में मुझे ४ साल लगे मेरे पापा ने मेरे पीछे पड़ कर बनवाया था इस चित्र की खासियत सतगुरु कबीर जी की आँखें हैं जो किसी भी कोण से देखने पर लगता है हमें देख रही हैं और कुछ समझा रही हैं.इस चित्र को मैंने मेरे गुरुदेव हरीश भैया जी के मार्गदर्शन में बनाया था.

Anand said...

aapki painting ko dekh ke lagta bhi hai ki, aapkne bare sabra ke sath ise banaya hai...
hamari putliye to bus kendrit ho jaati hai kabir ji ki putliyo per...

संजय भास्‍कर said...

aapki painting ko dekh ke lagta bhi hai ki, aapkne bare sabra ke sath ise banaya hai...

संजय भास्‍कर said...

Roshni ji
नमस्कार!

आदत मुस्कुराने की तरफ़ से
से आपको एवं आपके परिवार को क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाएँ!

Sanjay Bhaskar
Blog link :-
http://sanjaybhaskar.blogspot.com

Dinesh Saroj said...

रोशनी जी साहेब बंदगी,

आपने गुरु साहेब कि बहुत सुन्दर छवि गढ़ी है....
और ४ साल.... इतना संयम... आपको नतमस्तक...

यदि संभव हो सके तो इस छवि कि इससे भी बड़े आकार कि एक इलेक्ट्रोनिक प्रति (.JPG, .PNG करीब १२०० x १६०० resolution) मुझे उपलब्ध कराएँ... कष्ट तो आपको अवश्य ही होगा...

Dinesh Saroj said...

रोशनी जी साहेब बंदगी,

यह भी गुरुसाहेब जी कि ही अनुकम्पा है कि मुझे आपके ब्लॉग पर आने का मौका मिला,

कई दिनों से गुरु साहेब के एक बड़ी छवि कि तलाश थी परन्तु मिल नहीं रही थी...
अत: मैं स्वंय एक छवि बनाने कि सोच ही रहा था और देखिये साहेब के अनुकम्पा से आपके ब्लाग तक पहुँच पाया...

गुरुसाहेब कि छवि उपलब्ध करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार....

Roshani said...

Dinesh ji,
yah to mera soubhagy hai ki ham kisi ke kaam aa sake. ham to sirf madhyam hai karwane wala to aur koi hai.
bhavishy me yadi aapko kisi bhi prakar ki aawshyakat ho chitron se sambandhit to aap sampark kar sakte hain.
Aabhar