एक जमाना था जब मोहल्ले में हमारे ही टेपरिकॉर्ड (जी पापा जी के ज़माने की थी) उसका ही राज था वह मीठे मीठे गाना गाता था और हम सब आनंद लेते थे। तभी एक दिन अचानक उसका प्रतिद्वंदी आ धमका हमारे सामने वाले घर में।
जब वह गाता तो अगल- बगल के कुछ टेपरिकॉर्ड चुप हो शायद आत्मविश्वास में कुछ कमी आ गई थी
एक दिन हमने उसे किसी से बात करते सुना, ओह! यह तो अपनी व्यथा कह रहे हैं उस सामने वाले टेपरिकॉर्ड से! चलिए सुनते यह जनाब क्या कह रहे हैं?
मैं हूँ रोशनी का टेपरिकॉर्ड
लिख रहा हूँ अपना ध्वस्त रिकॉर्ड
यहाँ स्थिति मेरी ठीक नहीं है
ऊपर मेरे धूल की पर्त जमी है
ये रोशनी की बच्ची
मुझे साफ नहीं करती सच्ची मुच्ची
उसके पापा अभी दिल्ली गए थे
तीन चार दिन के लिए ठहर गए थे
मत पूछो क्या खरीदारी की Man
ले आये उसके लिए एक वॉकमैन
बस कान लगाकर सुनते रहती है उसे
हाल मेरा क्या होता है मालूम नहीं उसे
लिख रहा हूँ अपना ध्वस्त रिकॉर्ड
यहाँ स्थिति मेरी ठीक नहीं है
ऊपर मेरे धूल की पर्त जमी है
ये रोशनी की बच्ची
मुझे साफ नहीं करती सच्ची मुच्ची
उसके पापा अभी दिल्ली गए थे
तीन चार दिन के लिए ठहर गए थे
मत पूछो क्या खरीदारी की Man
ले आये उसके लिए एक वॉकमैन
बस कान लगाकर सुनते रहती है उसे
हाल मेरा क्या होता है मालूम नहीं उसे
आपका ख्याल तो बाबू मोशाय रखते होंगे
आप हालत में लाख गुना बेहतर होंगे
ध्वनि नियंत्रक ठीक नहीं हो पाता
गाना ऊँचे स्वर में गा नहीं पाता
कभी कभी धुनाई हो जाती है मेरी
पेंच सारी गायब है मेरी
बस किसी तरह जिन्दा हूँ
काले टेप व सेलुटेप की मदद से सही सलामत हूँ
वैसे भी अब बुढ़ा गया हूँ
उसे क्या दोष दूँ, बस अब एक ही गीत गाता हूँ
"जाने कहाँ गए वो दिन, बजता था मैं रात और दिन..."।
आप हालत में लाख गुना बेहतर होंगे
ध्वनि नियंत्रक ठीक नहीं हो पाता
गाना ऊँचे स्वर में गा नहीं पाता
कभी कभी धुनाई हो जाती है मेरी
पेंच सारी गायब है मेरी
बस किसी तरह जिन्दा हूँ
काले टेप व सेलुटेप की मदद से सही सलामत हूँ
वैसे भी अब बुढ़ा गया हूँ
उसे क्या दोष दूँ, बस अब एक ही गीत गाता हूँ
"जाने कहाँ गए वो दिन, बजता था मैं रात और दिन..."।
9 comments:
हाय! टेप रिकार्डर की व्यथा सुन दिल भर आया...:)
बढ़िया रचना!
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हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!
लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.
अनेक शुभकामनाएँ.
"जाने कहाँ गए वो दिन, बजता था मैं रात और दिन..."।
काबिलेतारीफ बेहतरीन
roshni ji aajkl to log sjeev ke upr bhi tep lgane me kotahi krte hai aapka tep khushkismathai jo vo aapki njro ke samne hai bs ek bar pyar se shla dijiye dekhna usme se aawaj niklegi ''aaj fir jeene ki tmmna hai''
Sameer ji aapka aadesh sir aankhon par.
Aapka bahut dhanywad ki aapko yah rachna pasand aaii.
sanjay ji aapka bhi bahut shukriya.
Rajwant didi ji aapki salah mujhe bahut hi pyari lagi.
shukriya.
avismaranya! shabd nahi hain tareef k liye! dost bahot hi achcha likha hai, one of the best stuff i hv ever read! wonderful! mann prasann! :)
सच में सब के टेप रिकार्दर्स की और अन्य appliances की
यही स्तिथि है |बहुत सुंदर विचार आया आपके मन में अपने लेखन के लिए |बधाई|
आशा
Aasha didi shukriya :)
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