Saturday, October 24, 2009
Sunday, October 11, 2009
नटखट कन्हैया
जमुना नदी में नहाती गोपियों के वस्त्र हरण कर नटखट कन्हैया जी कदम्ब के वृक्ष पर चढ़ गए हैं। गोपियाँ अपने वस्त्र ढूँढ़ती है व क्रोधित होती हैं तत्पश्चात थक हार के कन्हैया जी से अपने वस्त्र मांगती हैं।
अध्यात्म में इसका अर्थ यह हैं कि "आत्मा अपने सांसारिक मोहमाया का त्याग कर अपने प्यारे प्रभु से मिलती है।"
Wednesday, October 7, 2009
"एक बात और..."

दोस्तों एक बार फ़िर से मैं आपके बीच हूँ !
पता है आज मेरी मम्मी एक गाना गा रही थी मेरे लिए ...
चंदा है तू , मेरा सूरज है तू
तू मेरी आंखों का तारा है तू......
बहुत अच्छा लग रहा था मुझे ...
हा हा हा हा ....हँसी आ गई मुझको , क्यों ? मेरी बड़ी मम्मी ना हमेशा मुझको ये सुनाती है....
मैं आप लोग को सुनाऊँ ?
बिल्ली मौसी बिल्ली मौसी,
कहो कहाँ से आई हो?
कितने चूहे मारे तुमने,
कितने खा के आई हो?
क्या बताऊँ ........शीला माई....
आज नही कुछ पेट भरा
एक ही चूहा पाया मैंने
वो भी बिल्कुल सड़ा हुआ!
जब मैं ऐसे गाना सुनाऊंगा ना तो कितना मजा आएगा है ना?
अभी तो मैं बोल नहीं सकता ना ....बस हँसता हूँ और किलकारियां मरता हूँ ......
एक बात बताऊँ आप लोगों को ?
अभी तो मैं बोल नहीं सकता ना ....बस हँसता हूँ और किलकारियां मरता हूँ ......
एक बात बताऊँ आप लोगों को ?
मेरे पापा ना दिवाली त्यौहार में आ रहें हैं मुझसे मिलने। कितना मज़ा आएगा।
आप लोगों को भी मेरी ओर से दीपावली की बहुत बहुत बहुत .........सारी हार्दिक बधाइयाँ......
आप लोगों को भी मेरी ओर से दीपावली की बहुत बहुत बहुत .........सारी हार्दिक बधाइयाँ......
आपका प्यारा आदित्य
"आदित्य"
Thursday, October 1, 2009
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