Wednesday, November 18, 2009

अहोभाग्य...

अहोभाग्य हमारा नीरज जी ! कि इस गरीब की कुटिया में आपने कदम रखा। क्या लेंगे ?
गुस्ताखी माफ़ हो अगर बन्दे से मेहमाननवाजी में कोई कमी रह गई हो!
आपका बहुत बहुत शुक्रिया .....
आपका मार्गदर्शन हमें मिलता रहे ....इस आशा के साथ आपका पुन: शुक्रिया!

1 comment:

नीरज गोस्वामी said...

आपने जो मान दिया मैं उसके लायक बिलकुल नहीं हूँ...मुझसे अच्छा लिखने और कहने वाले बहुत से हैं ब्लॉग जगत में...मैं तो ब्लॉग्गिंग की अभी प्रथम सीडी पर ही हूँ...आपके द्वारा दिए इस मान से अभिभूत हूँ...स्नेह बनाये रखें...

नीरज