Wednesday, December 30, 2009
आप सभी को नव वर्ष 2010 की हार्दिक शुभकामनायें.........
Friday, December 18, 2009
Friday, December 4, 2009
Saturday, November 28, 2009
"मेरे सपने पूरे कब होंगे?..."
सारी खुशियाँ समेट कर अपनी झोली में रखना चाहती हूँ.....
और देखो उधर बच्चे कैसे खेल रहे हैं कितनी शैतानियाँ भी कर रहें है हा हा हा ....
मैं भी उनके साथ खेलना चाहती हूँ.....और उन्हें देखिये उन बच्चों को मिट्टी से कुछ बना रहें हैं ...मैं भी मिट्टी से अपना घर बनाऊंगी, फूलों से अपना प्यारा घर सजाऊंगी.......
और हाँ मेरी एक छोटी सी प्यारी सी गुड़िया भी होगी उसकी शादी भी करुँगी.......
क्या ऐसा हो पायेगा?
उधर देखिये सारे बच्चे पाठशाला जा रहें हैं!......क्या मुझे भी जाने मिलेगा?......
दीदी.... अभी मैं जाती हूँ,.. आप से फ़िर कभी बात होगी अभी मुझे माँ के साथ काम पे जाना है ना ...
Friday, November 20, 2009
"राधा और कृष्ण...."

मुरली की मधुर तान से समस्त वातावरण गूंज उठा। प्रेम व करुणा रस से भरे इस ध्वनि से अत्यधिक विचलित होने वाला मन राधा का था।
आप ही उसके कदम धुन की दिशा की ओर बढ़ने लगे। प्रेम में डूबी राधा मुग्ध अवस्था में ही मुरलीधर के चरणों को अपने कोमल हाथों से पकड़े अपना माथा लगाया, नैनों से अविरल बहते गंगा जल सी पवित्र अँसुअन से उनके चरण भिगोये।
मुरली बजाने में तल्लीन कृष्ण ने धीमे से अपने अपने नैनों को खोला, समीप राधा को चरणों में देखकर मन भावविहल हो उठा। हाथों से राधा को उठाया व गले लगाया तो ऐसा लग रहा था प्रकृति और उनके प्रेम एक दुसरे में समां गए हों।
उनके प्रेम से सारा संसार अविभूत है उनके पवित्र प्रेम पर कोई भी उंगली नहीं उठा सकता , प्रेम एक आत्मा का दूसरी आत्मा से था ना कि एक शरीर का दुसरे शरीर से था।
Wednesday, November 18, 2009
अहोभाग्य...
गुस्ताखी माफ़ हो अगर बन्दे से मेहमाननवाजी में कोई कमी रह गई हो!
आपका बहुत बहुत शुक्रिया .....
आपका मार्गदर्शन हमें मिलता रहे ....इस आशा के साथ आपका पुन: शुक्रिया!
Sunday, November 15, 2009
Saturday, October 24, 2009
Sunday, October 11, 2009
नटखट कन्हैया
Wednesday, October 7, 2009
"एक बात और..."

अभी तो मैं बोल नहीं सकता ना ....बस हँसता हूँ और किलकारियां मरता हूँ ......
एक बात बताऊँ आप लोगों को ?
आप लोगों को भी मेरी ओर से दीपावली की बहुत बहुत बहुत .........सारी हार्दिक बधाइयाँ......
"आदित्य"
Thursday, October 1, 2009
Wednesday, September 30, 2009
Saturday, September 26, 2009
आदित्य

मैं ना आदित्य साहू हुँ ...क्या आप मेरी कहानी सुनोगे?
मेरा जन्म १० मार्च २००९ में होलिका दहन के दिन हुआ था।
मेरे मम्मी पापा उस क्षण बहुत खुश थे पर थोड़े देर में यह खुशी दुःख में बदल गयी। मैं रोया नहीं ना तो ऑक्सीज़न की कमी हो गयी।
और न मुझे मेनेंज़ाइटिस भी हो गया।
मुझे दुसरे हॉस्पिटल ले जाया गया।
मैं अपनी मम्मी से अलग आई.सी.यू.में था। मम्मी दुसरे हॉस्पिटल में और मैं दुसरे।
मुझे अपनी मम्मी की बहुत याद आती थी। नर्स मुझे जब कैन्डूला लगाती ना तो बहुत दर्द होता था। मेरे नाक में पाइप लगी थी , अब तो झटके भी आने लगे थे। किसी को भी मेरे बचने की उम्मीद नही थी सिवाए मेरे मम्मी के।
जब वह मुझसे मिलने आती तो ना मुझसे अपनी आखों से कहती -
"मेरा प्यारा बेटा, तू जल्दी से अच्छा हो जाएगा।"
पता है ? इसलिए मैं जल्दी से ठीक होने लगा। मैं करीब डेढ़ महीने हॉस्पिटल में रहा।
खूब सारी दवाईयाँ लेनी पड़ती थी खूब उल्टी भी हो जाती थी।
डिब्बा वाला दूध लेना पड़ता जो मुझे बिल्कुल पसंद नही आता था।
पर अब मैं गाय का दूध लेता हूँ रोज १ से डेढ़ लीटर पी जाता हूँ और ना नानी मुझको रोज एक सेब फल भी देने लगी है
अभी तो मैं ठीक हूँ किंतु कभी -कभी मुझे अभी भी झटके आते हैं तो मेरी मम्मी डर जाती हैं।
आप लोग ईश्वर से मेरे लिए प्रार्थना करिए ना की मैंजल्दी से अच्छा हो जाऊं .... और मेरी मम्मी से बोलिए की ज्यादा चिंता ना करें अपने स्वास्थ का ध्यान रखें।
और ना मुझे अपने पापा की बहुत याद आती है वे मुझसे बहुत दूर डेल्ही में रहते हैं उनको अपना कार्य छोड़ते नही बनता पर मुझसे बहुत प्यार करते हैं।
मै अभी वहां नही जा सकता क्योंकि मेरी तबियत अभी पूरी ठीक नहीं हुई।
पता है मै अपने पापा के लिए कौन सा गीत गाता हूँ ?
"सात समुन्दर पार से गुड़ियों के बाज्रार से अच्छी सी गुड़िया लाना,
गुड़िया चाहे न लाना, पर पापा जल्दी आ जाना"
I love you mom and dad.
Thursday, September 24, 2009
कृष्ण लीला
कुंवर जल लोचन भरि भरि लैत।
बालक बदन बिलोकि जसोदा कत रिस करति अचेत॥
छोरि कमर तें दुसह दांवरी डारि कठिन कर बैत।
कहि तोकों कैसे आवतु है सिसु पर तामस एत॥
मुख आंसू माखन के कनिका निरखि नैन सुख देत।
मनु ससि स्रवत सुधाकन मोती उडुगन अवलि समेत॥
सरबसु तौ न्यौछावरि कीजे सूर स्याम के हेत।
ना जानौं केहिं पुन्य प्रगट भये इहिं ब्रज-नंद निकेत॥१७॥
आज बिरज में होली है रे रसिया
होरी है रे रसिया, बरजोरी है रे रसिया। आज बिरज में ....
उत वृषभान दुलारी है रे रसिया। आज बिरज में....
केसर की पिचकारी है रे रसिया। आज बिरज में .....
आज बिरज में होली रे रसिया।